A Simple Key For Shiv chaisa Unveiled
A Simple Key For Shiv chaisa Unveiled
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धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
O Common Lord, each and every early morning like a rule I recite this Chalisa with devotion. Make sure you bless me to ensure that I could possibly attain my material and spiritual dreams.
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
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लै त्रिशूल Shiv chaisa शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
शिव मंदिर में दीप जला के करलो मन उजियारा…
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुख हरहु हमारी॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
प्यासी आत्मा, बनके योगी, तेरी शरण में आया